
पहले मुर्गी आई या अंडा?
यह सवाल बचपन से ही हमारे दिमाग में चलता आ रहा है। लोग मजाक में भी पूछते हैं और दार्शनिक तौर पर भी सोचते हैं। ये सवाल केवल मज़ाक नहीं है, बल्कि विज्ञान और दर्शन दोनों की परीक्षा भी है। हम इस सवाल का जवाब आज ढूंढ लाए है, जहां विज्ञान ने इसका सटीक और सही रिसर्च करके बताया है कि “पहले मुर्गी आई या अंडा”

जून 2025 में क्या नया शोध हुआ?
हाल ही में जून 2025 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस रहस्य पर नई रिसर्च की। उन्होंने एडवांस्ड जेनेटिक एनालिसिस और 3D प्रोटीन स्कैनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया।इस शोध में वैज्ञानिकों ने ओवोक्लेडिन-17 (Ovocleidin-17 या OC-17) नामक एक खास प्रोटीन पर गहराई से अध्ययन किया, जो मुर्गी के अंडे के खोल बनाने में मदद करता है।
Ovocleidin-17 का क्या रोल है?
OC-17 प्रोटीन केवल मुर्गी की ओवरी (अंडाशय) में बनता है। यही प्रोटीन अंडे के खोल को सख्त बनाने में मदद करता है।
जून 2025 के नए शोध में वैज्ञानिकों ने यह साफ किया कि —
• OC-17 की वजह से ही अंडे के खोल की मजबूत परत बन पाती है।
• यह प्रोटीन evolutionary प्रक्रिया में धीरे-धीरे विकसित हुआ।
• लेकिन OC-17 बनने से पहले भी पक्षी अंडे देते थे, सिर्फ उनके खोल उतने मजबूत नहीं थे।
पहले अंडा आया या मुर्गी?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पहले ‘अंडा’ आया। कैसे? लाखों साल पहले, मुर्गी जैसी दिखने वाली कुछ पक्षियां थीं, जिन्हें हम “प्रोटो-चिकन” कह सकते हैं। इन प्रोटो-चिकन ने अंडे दिए। इन अंडों में धीरे-धीरे जेनेटिक म्यूटेशन (आनुवंशिक बदलाव) होते गए।ऐसे ही एक अंडे में बदलाव के कारण पहली “असली मुर्गी” पैदा हुई। इसका मतलब —मुर्गी से पहले अंडा था। उस अंडे से पहली मुर्गी निकली।
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दर्शन और विज्ञान में फर्क-(Difference between philosophy and science) –
दर्शन में लोग कहते थे कि “अगर मुर्गी नहीं होती तो अंडा कौन देता?” विज्ञान में देखा गया कि हर चीज धीरे-धीरे विकास (Evolution) से बनती है।विकास के नियमों के अनुसार, पहले अंडा आया और उसके अंदर पहली मुर्गी तैयार हुई।
जून 2025 के शोध से क्या नया सीखा?
यह सवाल कई सालों से बच्चों से लेकर टीचर के बीच काफी प्रचलित रही है, की पहले मुर्गी आई या अंडा ?और पहले भी यह माना जाता था कि अंडा पहले आया होगा, लेकिन जून 2025 में OC-17 प्रोटीन के डीप स्कैन और एआई मॉडलिंग से ये बात और पक्की हो गई। शोध में बताया गया कि प्रोटो-चिकन ने जो अंडा दिया, उसी में जेनेटिक बदलाव से पहली मुर्गी बनी। इस शोध को Nature Evolutionary Biology जर्नल में प्रकाशित भी किया गया।
नतीजा — पहले अंडा आया!
अब अगर कोई आपसे पूछे — पहले मुर्गी आई या अंडा? तो आप पूरे आत्मविश्वास से बोल सकते हो — “पहले अंडा आया। उसी अंडे से पहली मुर्गी निकली।”
आखिरी शब्द
यह सवाल सिर्फ विज्ञान का नहीं, बल्कि सोचने की एक शानदार प्रक्रिया है। यह हमें सिखाता है कि हर चीज की एक जड़ होती है, और विकास से ही नई चीजें बनती हैं।
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