हाल के दिनों में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया भर की चिंताएं बढ़ा दी हैं, और इस स्थिति में ईरान में रह रहे हज़ारों भारतीय नागरिक, खासकर छात्र, भी प्रभावित हुए हैं। भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उन्हें सुरक्षित वतन वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) लगातार इस दिशा में काम कर रहा है और निकासी वार्ता जारी है।
संकट की घड़ी और भारतीय छात्रों की स्थिति

ईरान में इज़राइल के साथ जारी संघर्ष के कारण कई शहरों में तनाव का माहौल बना हुआ है। मिसाइल हमलों, हवाई हमलों और सायरन की आवाजों ने वहां रह रहे लोगों में भय पैदा कर दिया है। इसी बीच, ईरान में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी फंसे हुए हैं, जिनमें से अधिकांश चिकित्सा और अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं। कई छात्र, खासकर जम्मू-कश्मीर से, वहां किफायती शिक्षा के लिए गए थे, लेकिन अब उनके परिवारों में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है।
छात्रों ने अपनी आपबीती सुनाई है, जिसमें उन्होंने धमाकों की आवाज़ें सुनने, इंटरनेट कनेक्टिविटी बाधित होने और जीवन अनिश्चित होने का ज़िक्र किया है। कुछ छात्रों को तो अपने हॉस्टल और डॉर्मिटरी से सीधे निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। यह स्थिति उनके लिए मानसिक रूप से भी काफी चुनौतीपूर्ण रही है।
‘ऑपरेशन सिंधु’ का आगाज़: भारत सरकार की त्वरित कार्रवाई

जैसे ही स्थिति बिगड़ी, भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाए। विदेश मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ नाम से एक विशेष निकासी अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत भारतीय नागरिकों को, खासकर छात्रों को, सुरक्षित निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
निकासी के तरीके: प्रारंभिक चरणों में, भारतीय छात्रों को ईरान के उत्तरी हिस्सों से सड़क मार्ग के ज़रिए आर्मेनिया पहुंचाया गया। वहां से विशेष चार्टर्ड उड़ानों के माध्यम से उन्हें नई दिल्ली लाया गया। ईरान ने भी भारत के इस निकासी अभियान के लिए विशेष रूप से अपना हवाई क्षेत्र खोला, जो संकट के समय में एक महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
MEA की भूमिका: विदेश मंत्रालय लगातार स्थिति पर बारीकी से नज़र रखे हुए है। भारतीय दूतावास ईरान में भारतीय समुदाय के साथ निरंतर संपर्क में है और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। जिन छात्रों को सुरक्षा कारणों से शहरों से बाहर निकाला गया है, दूतावास ने उनके लिए भी उचित व्यवस्था की है।
कृतज्ञता व्यक्त: वतन वापस लौटे छात्रों ने भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और ईरान व आर्मेनिया में भारतीय दूतावासों का आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि सरकार की समय पर और प्रभावी कार्रवाई ने उन्हें इस मुश्किल घड़ी से निकलने में मदद की।
चुनौतियों के बावजूद जारी प्रयास

यह निकासी अभियान चुनौतियों से भरा है। ईरान जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में नागरिकों को निकालना आसान नहीं होता, खासकर जब हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों और सुरक्षा चिंताओं से घिरा हो। हालांकि, भारत सरकार ने अपनी उच्च प्राथमिकता और कूटनीतिक प्रयासों से इसे संभव बनाया है।
अभी भी कुछ भारतीय छात्रों के ईरान में फंसे होने की खबरें हैं, और सरकार उन्हें भी सुरक्षित वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और स्थिति की लगातार निगरानी कर रही है।
आगे क्या?
जो छात्र सुरक्षित वापस आ गए हैं, उनके लिए अब अपनी पढ़ाई जारी रखने की चिंता है, क्योंकि कई ने बीच में ही अपनी शिक्षा छोड़ दी है। सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को इन छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भी कदम उठाने होंगे।
ईरान में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी ‘ऑपरेशन सिंधु’ की सफलता को दर्शाती है और यह दिखाती है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, भले ही वे दुनिया के किसी भी कोने में हों। यह अभियान दिखाता है कि संकट के समय में किस प्रकार त्वरित कूटनीति और समन्वय से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।