जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा, जिसे ‘रथों का त्योहार’ भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े और प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के आशीर्वाद प्राप्त करने और उनकी भव्य यात्रा को देखने के लिए पुरी, ओडिशा आते हैं। यह त्योहार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भक्ति का एक जीवंत प्रतीक भी है।
आइए, 2025 की जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की तारीख, इसके गौरवशाली इतिहास, अनूठी परंपराओं और गहन महत्व को विस्तार से समझें।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2025: तारीख
हर साल, जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है। Sure, here is the blog post about Jagannath Puri Rath Yatra 2025 for your WordPress website.
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2025: तारीख, इतिहास, परंपराएं और महत्व
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा, जिसे ‘रथों का त्योहार’ भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े और प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के आशीर्वाद प्राप्त करने और उनकी भव्य यात्रा को देखने के लिए पुरी, ओडिशा आते हैं। यह त्योहार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भक्ति का एक जीवंत प्रतीक भी है।
आइए, 2025 की जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की तारीख, इसके गौरवशाली इतिहास, अनूठी परंपराओं और गहन महत्व को विस्तार से समझें।
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2025: तारीख
हर साल, जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है।
2025 में, जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की मुख्य तिथि होगी: 26 जून, 2025 (गुरुवार)।
यह नौ दिवसीय उत्सव होता है जिसमें विभिन्न अनुष्ठान और परंपराएं शामिल होती हैं।
इतिहास: सदियों पुरानी परंपरा की जड़ें
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का इतिहास सदियों पुराना है और इसके पीछे कई किंवदंतियाँ और ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हुए हैं।
- पौराणिक कथाएं: एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, यह यात्रा भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाने का प्रतीक है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण (जगन्नाथ), बलराम (बलभद्र) और सुभद्रा द्वारका से पुरी आए थे और गुंडिचा मंदिर में रुके थे। यह भी माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ एक बार अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ नगर भ्रमण पर निकले थे, और उसी घटना को याद करने के लिए रथ यात्रा निकाली जाती है।
- ऐतिहासिक साक्ष्य: रथ यात्रा का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और अभिलेखों में मिलता है, जो इसकी प्राचीनता को सिद्ध करते हैं। पुरी के राजाओं द्वारा इस परंपरा को पीढ़ी-दर-पीढ़ी निभाया गया है।
- सामाजिक समरसता: रथ यात्रा की एक अनूठी विशेषता यह भी है कि इसमें जाति, पंथ या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता। सभी भक्त एक साथ मिलकर रथ खींचते हैं, जो सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
परंपराएं: अद्वितीय और मनमोहक
रथ यात्रा कई अनूठी परंपराओं और अनुष्ठानों से भरी है जो इसे एक विशेष त्योहार बनाती हैं:
- भव्य रथ: यात्रा के लिए तीन विशाल रथों का निर्माण किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदीघोष’, बलभद्र के रथ को ‘तालध्वज’ और सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म ध्वज’ कहा जाता है। ये रथ हर साल नए सिरे से बनाए जाते हैं और इनमें हजारों लकड़ी के टुकड़े लगते हैं।
- छर पहनरा: पुरी के गजपति महाराजा (राजा) रथ यात्रा से पहले रथों के सामने ‘छर पहनरा’ का अनुष्ठान करते हैं। इसमें वे सोने की झाड़ू से रथ के मार्ग को साफ करते हैं, जो विनम्रता और सभी के प्रति समान सम्मान का प्रतीक है।
- गुंडिचा यात्रा: मुख्य रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके रथों पर बैठाकर पुरी के मुख्य मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
- आड़प मंडप: गुंडिचा मंदिर में पहुंचने के बाद, भगवान नौ दिनों तक वहीं रहते हैं, जिसे ‘आड़प मंडप’ कहा जाता है। इस दौरान भक्त गुंडिचा मंदिर में भगवान के दर्शन करते हैं।
- बहुड़ा यात्रा: नौ दिनों के बाद, भगवान अपने मूल मंदिर में लौटते हैं। इस वापसी यात्रा को ‘बहुड़ा यात्रा’ के नाम से जाना जाता है।
- सुना वेश: बहुड़ा यात्रा के अगले दिन, भगवान को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है, जिसे ‘सुना वेश’ कहते हैं। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और भव्य होता है।
- अधर पाना: सुना वेश के बाद, देवताओं को ‘अधर पाना’ नामक एक विशेष शरबत पिलाया जाता है, जो भक्तों को दिया जाता है।
- नीलाद्रि बिजे: अंत में, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके मूल सिंहासन पर वापस स्थापित किया जाता है, जिसे ‘नीलाद्रि बिजे’ कहा जाता है। इसी के साथ रथ यात्रा उत्सव का समापन होता है।
महत्व: आध्यात्मिक और सामाजिक
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का महत्व कई स्तरों पर है:
- मोक्ष की प्राप्ति: भक्तों का मानना है कि रथ यात्रा के दौरान भगवान के दर्शन करने या रथ को खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पाप धुल जाते हैं।
- पुण्य संचय: यह यात्रा भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य संचय का अवसर प्रदान करती है।
- सांस्कृतिक एकता: यह त्योहार विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सांस्कृतिक एकता और भाईचारा बढ़ता है।
- श्रद्धा और भक्ति: रथ यात्रा भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह सिखाता है कि भगवान सभी के लिए सुलभ हैं और वे भक्तों के बीच भेदभाव नहीं करते।
- प्रकृति से जुड़ाव: रथों का निर्माण लकड़ी से होता है, जो प्रकृति के साथ हमारे जुड़ाव को भी दर्शाता है।
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2025 एक ऐसा अवसर है जो आध्यात्मिकता, इतिहास और संस्कृति का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यह केवल एक धार्मिक जुलूस नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो आत्मा को शांति और मन को आनंद प्रदान करता है। यदि आप भारत की समृद्ध परंपराओं और भक्ति के सार को समझना चाहते हैं, तो यह यात्रा निश्चित रूप से आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।