जब बात भारत में मुर्गों की नस्लों की आती है, तो हम अक्सर सामान्य देसी मुर्गों या ब्रॉयलर के बारे में सोचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी मुर्गे की नस्ल है, जिसकी कीमत और खासियत इसे “मुर्गों का राजा” बनाती है? यह है कड़कनाथ मुर्गा, जिसे भारत का सबसे महंगा मुर्गा माना जाता है। इस लेख में हम कड़कनाथ मुर्गे की कीमत, विशेषताएं, स्वास्थ्य लाभ, और इसके पाए जाने वाले स्थान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कड़कनाथ मुर्गा क्या है?
कड़कनाथ, जिसे “कालामासी” भी कहा जाता है, एक देसी मुर्गे की नस्ल है जो अपनी अनोखी काली रंगत के लिए प्रसिद्ध है। इसका मांस, हड्डियां, और यहां तक कि अंदरूनी अंग भी काले रंग के होते हैं, जो इसे अन्य नस्लों से अलग बनाता है। यह नस्ल अपनी उच्च प्रोटीन सामग्री, कम वसा, और औषधीय गुणों के कारण देश-विदेश में मशहूर है। कड़कनाथ को मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिलों में उत्पत्ति माना जाता है, और इसे GI (Geographical Indication) टैग भी प्राप्त है।
कड़कनाथ की कीमत

कड़कनाथ मुर्गे की कीमत इसकी मांग, दुर्लभता, और गुणवत्ता के आधार पर भिन्न हो सकती है। सामान्य रूप से, कड़कनाथ का मांस 800 से 2,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकता है, जो सामान्य चिकन (150-300 रुपये प्रति किलो) से कई गुना अधिक है। एक जीवित कड़कनाथ मुर्गे की कीमत 2,000 से 5,000 रुपये या उससे भी अधिक हो सकती है, खासकर अगर यह प्रीमियम नस्ल का हो। इसके अंडे भी महंगे हैं, जिनकी कीमत 50 से 100 रुपये प्रति अंडा तक हो सकती है। कुछ विशेष बाजारों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इसकी कीमत और भी अधिक हो सकती है।
कड़कनाथ इतना महंगा क्यों है?
- दुर्लभता: कड़कनाथ एक देसी नस्ल है जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी सीमित उपलब्धता और प्राकृतिक प्रजनन प्रक्रिया इसे दुर्लभ बनाती है।
- पोषण मूल्य: कड़कनाथ का मांस प्रोटीन से भरपूर (25-28%) और कम वसा (0.73-1.05%) वाला होता है, जो इसे सामान्य चिकन (13-20% प्रोटीन, 3-5% वसा) से अधिक स्वास्थ्यवर्धक बनाता है। इसमें आयरन, एमिनो एसिड, और विटामिन्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं।
- औषधीय गुण: आयुर्वेद में कड़कनाथ को हृदय स्वास्थ्य, मधुमेह नियंत्रण, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसका मांस पुरुषों में शारीरिक शक्ति और प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है।
- बाजार की मांग: कड़कनाथ की मांग भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, और बैंगलोर में, साथ ही विदेशों में (मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया) तेजी से बढ़ रही है। इसे लग्जरी रेस्तरां और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच खास माना जाता है।
- पालन-पोषण की लागत: कड़कनाथ को पालने में विशेष देखभाल और जैविक खानपान की जरूरत होती है, जिससे इसकी लागत बढ़ जाती है।
कड़कनाथ कहां पाया जाता है?
कड़कनाथ की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के झाबुआ, धार, और अलीराजपुर जिलों से हुई है, जहां यह आदिवासी समुदायों द्वारा सदियों से पाला जाता रहा है। इसके अलावा, यह अब भारत के अन्य राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, और तमिलनाडु में भी छोटे पैमाने पर पाला जाने लगा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस नस्ल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे इसकी खेती अब व्यावसायिक रूप ले रही है।
कड़कनाथ को जंगली और प्राकृतिक वातावरण में पालना आसान होता है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर उगाने के लिए विशेष प्रशिक्षण और सुविधाओं की जरूरत होती है।
कड़कनाथ के स्वास्थ्य लाभ
- उच्च प्रोटीन, कम वसा: इसका मांस मांसपेशियों के विकास और वजन नियंत्रण के लिए आदर्श है।
- हृदय स्वास्थ्य: कम कोलेस्ट्रॉल और उच्च आयरन सामग्री के कारण यह हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं।
- आयुर्वेदिक महत्व: स्थानीय समुदाय इसे शारीरिक कमजोरी, थकान, और पुरानी बीमारियों के इलाज में उपयोग करते हैं।
कड़कनाथ का उपयोग
कड़कनाथ का मांस विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों में इस्तेमाल होता है, जैसे:
- कड़कनाथ करी: मसालेदार और समृद्ध स्वाद वाली ग्रेवी।
- कड़कनाथ बिरयानी: इसका काला मांस बिरयानी को एक अनोखा स्वाद देता है।
- कड़कनाथ सूप: स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक सूप के लिए।
- ग्रिल्ड कड़कनाथ: कम तेल में ग्रिल करके इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।
इसके अंडे भी पौष्टिक होते हैं और सलाद, ऑमलेट, या उबालकर खाए जा सकते हैं।
चुनौतियां और संरक्षण
कड़कनाथ की नस्ल को संरक्षित करना और इसे बड़े पैमाने पर पालना एक चुनौती है। इसकी प्राकृतिक प्रजनन दर कम है, और इसे पालने में समय और संसाधन लगते हैं। मध्य प्रदेश सरकार और कुछ गैर-सरकारी संगठन इसे बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और सब्सिडी दे रहे हैं। साथ ही, नकली कड़कनाथ मांस की बिक्री भी एक समस्या है, जिसके लिए खरीदते समय GI टैग की जांच करना जरूरी है।
निष्कर्ष
कड़कनाथ मुर्गा न केवल भारत का सबसे महंगा मुर्गा है, बल्कि यह एक पौष्टिक और औषधीय खजाना भी है। इसकी कीमत, जो 800 से 2,000 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है, इसकी दुर्लभता और स्वास्थ्य लाभों को दर्शाती है। मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जैसे क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह मुर्गा अब देशभर में अपनी पहचान बना रहा है। अगर आप एक अनोखे और स्वास्थ्यवर्धक स्वाद की तलाश में हैं, तो कड़कनाथ आपके लिए एक शाही अनुभव हो सकता है। इसे आजमाएं और इस देसी नस्ल के जादू का लुत्फ उठाएं!