सोनम वांगचुक की बायोग्राफी

सोनम वांगचुक की पूरी बायोग्राफी: लद्दाख के असली ‘फुंसुख वांगड़ू’ 2025 तक का सफर

सोनम वांगचुक एक भारतीय इंजीनियर, इनोवेटर, एजुकेशन रिफॉर्मर और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, जो लद्दाख के हिमालयी इलाके में सस्टेनेबल डेवलपमेंट और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी अनोखी पहलों के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। उनकी जिंदगी बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ के किरदार फुंसुख वांगड़ू की प्रेरणा बनी, लेकिन असल जिंदगी में वे एक ऐसे योद्धा हैं जो शिक्षा, पानी की कमी और पर्यावरण संरक्षण के लिए जूझ रहे हैं। 2025 तक, वे लद्दाख के स्टेटहुड और छठी अनुसूची की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। आइए, उनकी पूरी कहानी को स्टेप बाय स्टेप जानते हैं – जन्म से लेकर आज तक।

प्रारंभिक जीवन: हिमालय की कठोर जमीन पर जन्म सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को लद्दाख के लेह जिले के अल्ची गांव के पास उलेतोकपो नामक एक छोटे से गांव में हुआ, जहां सिर्फ 5 परिवार रहते थे। उनके पिता एक किसान थे, और मां ने उन्हें शुरुआती पढ़ाई सिखाई क्योंकि गांव में कोई स्कूल नहीं था। 9 साल की उम्र तक वे अपनी मां से अपनी मातृभाषा में पढ़े-लिखे। फिर परिवार के साथ श्रीनगर चले गए, जहां उन्होंने फॉर्मल एजुकेशन शुरू की। लेकिन भाषा और संस्कृति के फर्क की वजह से उन्हें परेशानियां झेलनी पड़ीं – लोग उन्हें ‘बेवकूफ’ समझते थे क्योंकि वे हिंदी-उर्दू नहीं समझ पाते थे। वांगचुक इसे अपनी जिंदगी का सबसे काला दौर बताते हैं। 1977 में, 11 साल की उम्र में, वे अकेले दिल्ली भाग गए और विशेश केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल से अपनी बात रखी। यह संघर्ष ने उन्हें मजबूत बनाया।

शिक्षा: इंजीनियरिंग तक का सफर

  • स्कूली शिक्षा: दिल्ली और श्रीनगर में पढ़ाई के बाद, वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) श्रीनगर (तब REC Srinagar) पहुंचे। 1987 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech पूरा किया। पिता इंजीनियरिंग के खिलाफ थे, इसलिए उन्होंने खुद की कमाई से पढ़ाई की।
  • उच्च शिक्षा: 2011 में, फ्रांस के ग्रेनोबल में क्रेटर शैक्षिक स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से दो साल की अर्थियन आर्किटेक्चर (मिट्टी की वास्तुकला) की पढ़ाई की। यह उनके पर्यावरणीय इनोवेशन्स की नींव बनी।

सोनम वांगचुक का करियर: शिक्षा सुधार से इनोवेशन तक

वांगचुक ने कभी प्राइवेट जॉब नहीं की। ग्रेजुएशन के बाद ही उन्होंने लद्दाख की शिक्षा व्यवस्था को बदलने का फैसला किया। यहां उनके मुख्य योगदान:

  • 1988: SECMOL की स्थापना – अपने भाई और पांच दोस्तों के साथ स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) शुरू किया। इसका मकसद लद्दाख के छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाना और शिक्षा को लोकल कल्चर से जोड़ना था। SECMOL कैंपस सोलर एनर्जी पर चलता है – कोई फॉसिल फ्यूल नहीं, यहां तक कि -25°C की सर्दियों में भी।
  • 1994: ऑपरेशन न्यू होप – सरकार और गांवों के साथ मिलकर सरकारी स्कूलों में रिफॉर्म्स लाए। लद्दाख के 80% स्कूलों में सुधार हुआ।
  • 1993-2005: लादाग्स मेलोंग मैगजीन – लद्दाख का पहला प्रिंट मैगजीन एडिट किया।
  • 2001-2002: हिल काउंसिल में एजुकेशन एडवाइजर – लद्दाख 2025 विजन डॉक्यूमेंट में योगदान, जो PM मनमोहन सिंह ने लॉन्च किया।
  • 2005: नेशनल गवर्निंग काउंसिल फॉर एलीमेंट्री एजुकेशन – HRD मिनिस्ट्री में मेंबर।
  • 2007-2010: MS (डेनिश NGO) के लिए एजुकेशन एडवाइजर।
  • 2013: J&K स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन में अपॉइंटमेंट।
  • 2015: हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) – माउंटेन यूनिवर्सिटीज को रेलेवेंट बनाने के लिए शुरू किया। यहां स्टूडेंट्स इनोवेशन सीखते हैं।
  • 2016: फार्मस्टेज लद्दाख – लोकल महिलाओं द्वारा टूरिस्ट्स के लिए होमस्टेज, जो 18 जून 2016 को चेत्सांग रिनपोछे ने इनॉगरेट किया।
  • अन्य भूमिकाएं: 2002 में लद्दाख वॉलंटरी नेटवर्क (LVN) को-फाउंड किया।

मुख्य उपलब्धियां और इनोवेशन्स

वांगचुक के पास 400+ पेटेंट्स हैं। वे हिमालय के लिए सस्टेनेबल सॉल्यूशन्स बनाते हैं:

  • आइस स्टूपा (2013): कृत्रिम ग्लेशियर – सर्दियों में स्ट्रीम वॉटर को आइस टावर में स्टोर करता है, जो स्प्रिंग में किसानों को पानी देता है। 2014 में 1.5 लाख लीटर स्टोर करने वाला प्रोटोटाइप बनाया। 2016 में सिक्किम के साउथ ल्होनाक झील में डिजास्टर मिटिगेशन के लिए यूज किया।
  • पैसिव सोलर आर्किटेक्चर: मिट्टी के भवनों से -15°C में भी +15°C तापमान बनाए रखना। SECMOL का ‘बिग बिल्डिंग’ 2016 में फ्रांस के इंटरनेशनल टेरा अवॉर्ड जीता।
  • 2021: सोलर-पावर्ड टेंट्स – इंडियन आर्मी के लिए हाई-एल्टीट्यूड में 10 सैनिकों वाले टेंट्स।
  • अन्य: 2015 में जंस्कार झील के फ्लड को रोकने का सिफॉन सॉल्यूशन सुझाया (जो इग्नोर हुआ)। 2016 में स्विस आल्प्स में आइस स्टूपा बनाए।

पर्यावरण कार्य और सामाजिक आंदोलन

  • क्लाइमेट एक्टिविज्म: जलवायु परिवर्तन से ग्लेशियर्स पिघलने के खिलाफ ‘आइस स्टूपा’ जैसी तकनीकें। 2020 में गलवान क्लैश के बाद चाइनीज प्रोडक्ट्स बॉयकॉट का आह्वान।
  • न्यू लद्दाख मूवमेंट (2013): सस्टेनेबल एजुकेशन, एनवायरनमेंट और इकोनॉमी के लिए। बाद में नॉन-पॉलिटिकल बना।
  • हाल के आंदोलन (2023-2025): लद्दाख को छठी अनुसूची और स्टेटहुड की मांग। जनवरी 2023 में 5-दिन का फास्ट, मार्च 2024 में 21-दिन का क्लाइमेट फास्ट (-17°C में आउटडोर)। सितंबर 2024 में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर 120+ लोगों के साथ डिटेन। अप्रैल 2024 में ‘डिल्ली चलो पादयात्रा’ लीड की। 2025 में LEH एपेक्स बॉडी के साथ प्रोटेस्ट्स, जहां हिंसा हुई और CBI जांच का सामना कर रहे।

पुरस्कार और सम्मान की लम्बी लिस्ट

  • 1996: जम्मू-कश्मीर गवर्नर मेडल (एजुकेशन रिफॉर्म)।
  • 2001: द वीक का ‘मैन ऑफ द ईयर’।
  • 2002: अशोका फेलोशिप (सोशल एंटरप्रेन्योरशिप)।
  • 2004: सैंक्चुअरी एशिया का ग्रीन टीचर अवॉर्ड।
  • 2008: CNN-IBN रियल हीरोज अवॉर्ड।
  • 2014: UNESCO चेयर अर्थियन आर्किटेक्चर।
  • 2016: रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज (आइस स्टूपा के लिए, 1 लाख स्विस फ्रैंक्स और स्पेशल वॉच); इंटरनेशनल टेरा अवॉर्ड।
  • 2017: ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर; GQ सोशल एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर; जम्मू-कश्मीर स्टेट अवॉर्ड (आउटस्टैंडिंग एनवायरनमेंटलिस्ट)।
  • 2018: रेमन मैगसेसे अवॉर्ड (एजुकेशन और क्लाइमेट चेंज के लिए)।

सोनम वांगचुक की Youtube Channel: https://youtube.com/@sonamwangchuk66?si=fIicyznm_wYxcb3e

व्यक्तिगत जीवन: परिवार और प्रेरणा

वांगचुक की पत्नी गितांजलि जंगमो हैं, जो HIAL में उनके साथ काम करती हैं। उनके तीन बच्चे हैं। वे सादा जीवन जीते हैं – लद्दाख के गांव में रहते हैं और इनोवेशन को ‘खेल’ मानते हैं। फिल्म ‘3 इडियट्स’ के डायरेक्टर राजकुमार हिरानी ने कहा कि वांगचुक की कहानी ने फुंसुख वांगड़ू को जन्म दिया। वे कहते हैं, “मैं रियल फुंसुख नहीं, लेकिन सिस्टेम चेंज के लिए काम करता हूं।”

वर्तमान स्थिति और विरासत (2025 तक)

आज 59 साल के वांगचुक लद्दाख बचाओ आंदोलन के केंद्र में हैं। सितंबर 2025 में लेह प्रोटेस्ट्स के दौरान हिंसा हुई, जहां 4 मौतें हुईं और वे CBI जांच का सामना कर रहे (NGO फंडिंग पर आरोप)। फिर भी, वे शांतिपूर्ण संघर्ष पर जोर देते हैं। उनकी विरासत: लद्दाख में 5000+ स्टूडेंट्स को ट्रेन किया, पानी संकट हल किया और हिमालय को बचाने की मिसाल बने। TED टॉक्स, नोबेल वीक डायलॉग्स में स्पीक करते हैं।

लद्दाख मैटर्स टुडे (25 सितंबर 2025): विरोध, हिंसा और उम्मीद की तलाश Ladakh Update

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