हाल ही में बिहार की राजनीति में एक बड़ा विवाद सामने आया जब दरभंगा की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां हीराबेन को लेकर अपशब्द कहे गए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और देखते ही देखते यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन गया।बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस और RJD पर “निंदनीय राजनीति” का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक माफी की मांग की। दूसरी ओर, कांग्रेस और RJD ने इस पूरे विवाद को बीजेपी का “राजनीतिक हथकंडा” बताया। अब सवाल उठता है – आखिर इस विवाद में सच्चाई कितनी है और राजनीति का लोभ कहाँ तक पहुँच गया है?
क्या सच में RJD–कांग्रेस ने गलत बोला?
जांच में सामने आया कि अपशब्द बोलने वाला व्यक्ति एक स्थानीय स्तर का था, जिसे पुलिस ने FIR में नामित किया है। हालांकि, यह बयान उस मंच से दिया गया था जहाँ कांग्रेस और RJD की संयुक्त रैली हो रही थी।
- बीजेपी का आरोप है कि ऐसे शब्दों को रोकने या विरोध करने के बजाय राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने चुप्पी साधी।
- वहीं, कांग्रेस और RJD का कहना है कि यह “उनका आधिकारिक बयान नहीं” था और बीजेपी इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है।
नरेंद्र मोदी की भावुक प्रतिक्रिया :
मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। फिर भी उन्हें गालियाँ दी गईं। यह सिर्फ मेरी मां का अपमान नहीं है, बल्कि देश की हर मां, बहन और बेटी का अपमान है।” उनकी यह प्रतिक्रिया पूरे देश में गूंज गई और राजनीतिक माहौल और भी गरमा गया। आपको एक वीडियो क्लिप शेयर करते है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता को संबोधित करते हुए बता रहे है कि उनकी मां को अन्य पार्टी के लोगों ने कैसी अशब्द बातों का
https://youtube.com/shorts/rv2OaT6YNQo?si=J48m9G5SBgaH2dTK
आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
- बीजेपी: कांग्रेस और RJD पर हमला बोलते हुए कहा कि यह गठबंधन “मातृ-शक्ति का अपमान करने वाला” है और इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।
- कांग्रेस: बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी खुद अतीत में “50 करोड़ गर्लफ्रेंड”, “जर्सी गाय” जैसी भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं।
- RJD: तेजस्वी यादव ने कहा कि मोदी डबल स्टैंडर्ड अपना रहे हैं। वहीं, रोहिणी आचार्य ने सोनिया गांधी के खिलाफ पीएम द्वारा कही बातों को याद दिलाते हुए कहा – “क्या तब माओं का अपमान नहीं हुआ?”
राजनीति का लोभ और जनता की ठगी
इस पूरे विवाद से साफ है कि राजनीतिक दल अब जनता की समस्याओं से ज्यादा व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप पर ध्यान दे रहे हैं।
महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर चर्चा करने के बजाय नेताओं ने “मां की ममता” को भी अपने राजनीतिक स्वार्थ में खींच लिया।यह सिर्फ भावनाओं से खेलने की रणनीति है, ताकि जनता असल मुद्दों को भूल जाए और राजनीतिक नफरत बढ़ती रहे।
यह विवाद सिर्फ एक बयान का मामला नहीं, बल्कि उस राजनीतिक लोभ और नैतिक पतन का आईना है जो आज भारतीय राजनीति में गहराता जा रहा है। चाहे बीजेपी हो, कांग्रेस हो या RJD – सभी ने कभी न कभी व्यक्तिगत हमले किए हैं। मगर जब “मां” जैसे पवित्र शब्द को गाली-गलौज की राजनीति में घसीटा जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।