भाई दूज 2025

भाई दूज 2025: क्यों मनाई जाती है, अनोखा महत्व और तिथि

भाई दूज, जिसे यम द्वितीया, भाऊ बीज, भाई फोटा या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक पवित्र और हृदयस्पर्शी त्योहार है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। भारत में यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। भाई दूज दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसके अलावा, होली के बाद भी चैत्र मास में एक और भाई दूज मनाया जाता है, जिसे होली भाई दूज कहते हैं। इस लेख में हम भाई दूज 2025 की तिथि, इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व, और इस साल के कुछ अनोखे पहलुओं के बारे में जानेंगे।

भाई दूज क्यों मनाई जाती है?

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम, सम्मान और रक्षा के वचन को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। इस पर्व की शुरुआत से जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से संबंधित है।

पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की दो संतानें थीं—यमराज (मृत्यु के देवता) और यमुना (नदी की देवी)। यमुना बार-बार अपने भाई यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण देती थीं, लेकिन यमराज अपने कर्तव्यों के कारण नहीं जा पाते थे। एक बार कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि को यमुना के बार-बार आग्रह पर यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना ने उनका भव्य स्वागत किया, स्वादिष्ट भोजन कराया और तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की प्रार्थना की। यमराज उनकी भक्ति और प्रेम से अति प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने वर मांगा कि हर साल इस तिथि पर वे उनके घर आएं और जो बहन अपने भाई का तिलक करे, उसे यमराज का भय न हो। यमराज ने तथास्तु कहकर यह वरदान दे दिया। तभी से भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं।

इसके अतिरिक्त, कुछ क्षेत्रों में यह भी मान्यता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने और यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। 2025 में भाई दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025, रात 08:16 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2025, रात 10:46 बजे
  • भाई दूज तिथि: 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार
  • तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 01:17 बजे से 03:31 बजे तक

होली भाई दूज 2025:

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 15 मार्च 2025, दोपहर 02:33 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 16 मार्च 2025, शाम 04:58 बजे
  • होली भाई दूज तिथि: 16 मार्च 2025, रविवार
  • तिलक का शुभ मुहूर्त: सुबह से शाम 04:58 बजे तक

शास्त्रों के अनुसार, यदि द्वितीया तिथि अपराह्न (दिन का चौथा भाग) में उपलब्ध हो, तो उसी दिन भाई दूज मनाया जाता है। यदि दोनों दिन अपराह्न में द्वितीया तिथि हो, तो अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है।

भाई दूज 2025 का अनोखा महत्व

2025 में भाई दूज का महत्व कई मायनों में विशेष होगा। इस साल यह पर्व निम्नलिखित कारणों से और भी अनोखा होगा:

  1. आध्यात्मिक और सामाजिक एकता: भाई दूज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस दिन परिवार एक साथ इकट्ठा होते हैं, और भाई-बहन के बीच प्रेम और विश्वास का बंधन और मजबूत होता है। 2025 में, वैश्विक स्तर पर भारतीय समुदायों द्वारा इस पर्व को उत्साह के साथ मनाने की संभावना है, जो सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देगा।
  2. प्रकृति से जुड़ाव: भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा का विशेष महत्व है। यह प्रकृति के प्रति सम्मान और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। 2025 में, पर्यावरण जागरूकता के बढ़ते दौर में यह पहलू और भी प्रासंगिक होगा।
  3. आधुनिकता और परंपरा का संगम: आज के डिजिटल युग में, भाई-बहन जो दूर-दराज में रहते हैं, वे वीडियो कॉल के माध्यम से तिलक और祝福 का आदान-प्रदान करते हैं। 2025 में, टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के साथ यह पर्व आधुनिकता और परंपरा का एक अनोखा मिश्रण प्रस्तुत करेगा।
  4. ज्योतिषीय संयोग: 2025 में होली भाई दूज के दिन द्विपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ और प्रभावकारी बनाएंगे। इन योगों में तिलक करने से भाई-बहन के रिश्ते में और मजबूती आएगी।

भाई दूज की पूजा विधि

भाई दूज की पूजा विधि सरल लेकिन शुद्धता और भक्ति से भरी होती है। निम्नलिखित हैं इसकी मुख्य प्रक्रियाएँ:

  1. तिलक की तैयारी: बहनें तिलक के लिए हल्दी, चंदन, कुमकुम और अक्षत (चावल) तैयार करती हैं। ये सामग्रियाँ शुभता, शांति और संपूर्णता का प्रतीक हैं।
  2. भाई का स्वागत: भाई को चौकी पर बैठाया जाता है, और उनका मुख उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जबकि बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  3. तिलक और पूजा: बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है, उनकी आरती उतारती है और मिठाई खिलाती है। इस दौरान भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
  4. उपहार और भोजन: भाई अपनी बहन को उपहार, शगुन या नारियल का गोला भेंट करते हैं। कुछ क्षेत्रों में बहनें भाई के लिए विशेष पकवान जैसे बसुंदी और पूरी बनाती हैं।
  5. यमुना स्नान और पूजा: कुछ लोग इस दिन यमुना नदी में स्नान करते हैं और यमराज व यमुना की पूजा करते हैं, जो अकाल मृत्यु के भय को दूर करता है।

निष्कर्ष

भाई दूज भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को सेलिब्रेट करने का एक अनमोल अवसर है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। 2025 में यह त्योहार 23 अक्टूबर (दीवाली भाई दूज) और 16 मार्च (होली भाई दूज) को मनाया जाएगा, जिसमें शुभ योग और आधुनिकता का संगम इसे और भी विशेष बनाएगा। यह पर्व हमें अपने परिवार के साथ समय बिताने और प्रेम के बंधन को मजबूत करने की प्रेरणा देता है। सभी भाइयों और बहनों को भाई दूज 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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