भारत में मुर्गी फार्मिंग (पोल्ट्री फार्मिंग) एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है, जो लाखों लोगों को रोजगार और आय प्रदान करता है। लेकिन सफलता के लिए फार्म के प्रबंधन में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। यदि आपके पास मुर्गी फार्म है, तो मुर्गियों की सेहत, बीमारियां, रहन-सहन, प्रदूषण नियंत्रण और अन्य कारकों पर सतर्क रहना चाहिए। गलत प्रबंधन से नुकसान, बीमारियां फैलना और पर्यावरणीय समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में हम इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो भारतीय संदर्भ में आधारित हैं। यह जानकारी NABARD, ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है।
मुर्गियों की सेहत (Health) का ध्यान
मुर्गियों की अच्छी सेहत फार्म की उत्पादकता की कुंजी है। स्वस्थ मुर्गियां अधिक अंडे देती हैं और ब्रॉयलर तेजी से बढ़ते हैं। यहां कुछ मुख्य बातें:
- पोषण और आहार: मुर्गियों को संतुलित फीड दें, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट्स शामिल हों। ब्रॉयलर के लिए 22-24% प्रोटीन वाली फीड और लेयर के लिए 16-18% प्रोटीन वाली फीड दें। फीड की गुणवत्ता जांचें और दूषित फीड से बचें। पानी हमेशा साफ और उपलब्ध रखें – प्रति मुर्गी प्रति दिन कम से कम 200-300 मिलीलीटर पानी।
- टीकाकरण: नियमित वैक्सीनेशन शेड्यूल फॉलो करें। न्यूकैसल डिजीज, आईबीडी (इंफेक्शियस बर्सल डिजीज) और एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के लिए समय पर टीके लगवाएं। चूजों को पहले दिन से वैक्सीन दें।
- नियमित जांच: वेटरिनेरियन से हर 15-30 दिनों में फार्म की जांच करवाएं। मुर्गियों की वजन, व्यवहार और उत्पादन दर पर नजर रखें। यदि कोई मुर्गी कमजोर दिखे, तो उसे अलग करें।
बीमारियों (Diseases) से बचाव
बीमारियां फार्म को तबाह कर सकती हैं, इसलिए बायोसिक्योरिटी (जैव-सुरक्षा) पर जोर दें। भारत में बर्ड फ्लू और अन्य संक्रामक रोग आम हैं।
- सामान्य बीमारियां: कोक्सीडियोसिस (आंतों की बीमारी), साल्मोनेला, ई.कोलाई और रेस्पिरेटरी इंफेक्शन। लक्षण: डायरिया, सांस लेने में तकलीफ, कम भोजन।
- बचाव के उपाय: फार्म में प्रवेश सीमित करें – फुटबाथ, हैंड सैनिटाइजर और क्वारंटाइन सिस्टम अपनाएं। मृत मुर्गियों को सही तरीके से डिस्पोज करें (दफनाएं या इंसीनरेटर यूज करें)। कीट-पतंगों से बचाव के लिए जाल लगाएं।
- इमरजेंसी प्लान: यदि बीमारी फैले, तो तुरंत आइसोलेट करें और सरकारी अधिकारियों को सूचित करें। NABARD की गाइडलाइन्स के अनुसार, बीमारी की रिपोर्टिंग अनिवार्य है।
रहन-सहन (Housing and Living Conditions) की व्यवस्था
आरामदायक रहन-सहन मुर्गियों की उत्पादकता बढ़ाता है और तनाव कम करता है।
- शेड डिजाइन: वेंटिलेशन अच्छा हो – गर्मियों में कूलर और सर्दियों में हीटर लगाएं। ब्रॉयलर के लिए 1 वर्ग फुट प्रति मुर्गी और लेयर के लिए 2 वर्ग फुट स्पेस दें। फर्श डीप लिटर (चावल की भूसी या चूरा) से ढकें, जो हर 2-3 महीने बदलें।
- लाइटिंग और तापमान: 16-18 घंटे की रोशनी दें (एलईडी लाइट्स यूज करें)। तापमान 20-25°C रखें। अधिक गर्मी से हीट स्ट्रेस हो सकता है, जो मौत का कारण बनता है।
- आराम और व्यवहार: मुर्गियों को घूमने की जगह दें। ओवरक्राउडिंग से कैनिबलिज्म (एक-दूसरे को चोंच मारना) बढ़ता है। चोंच ट्रिमिंग या डिबीकिंग करें यदि जरूरी हो।
प्रदूषण नियंत्रण (Pollution Management)
पोल्ट्री फार्म पर्यावरण को प्रभावित करता है, इसलिए प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी है। भारत में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के नियम फॉलो करें।
- वेस्ट मैनेजमेंट: मुर्गियों की खाद (मैन्योर) को कंपोस्टिंग से जैविक खाद बनाएं। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और गंध कम करता है। अपशिष्ट जल को ट्रीटमेंट प्लांट से साफ करें।
- गंध और धूल नियंत्रण: वेंटिलेशन सिस्टम से अमोनिया गैस कम करें। फार्म के आसपास पेड़ लगाएं। डस्ट से बचाव के लिए स्प्रिंकलर यूज करें।
- पर्यावरणीय प्रभाव: जल प्रदूषण से बचें – फीड और दवाओं के अवशेष नदी या भूमिगत जल में न जाएं। ऑर्गेनिक फार्मिंग अपनाकर रसायनों का यूज कम करें। CPCB की अनुमति लें और नियमित ऑडिट करवाएं।
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- श्रमिक सुरक्षा: मजदूरों को मास्क, ग्लव्स और ट्रेनिंग दें। बीमारियों से बचाव के लिए उन्हें वैक्सीन लगवाएं।
- मार्केटिंग और फाइनेंस: उत्पादन लागत ट्रैक करें। सरकारी योजनाएं जैसे नेशनल लाइवस्टॉक मिशन से सब्सिडी लें।
- टेक्नोलॉजी का यूज: ऐप्स से फीड मॉनिटरिंग और सीसीटीवी से सुरक्षा करें। स्मार्ट फार्मिंग से उत्पादकता 20-30% बढ़ सकती है।
- कानूनी पहलू: FSSAI लाइसेंस, GST रजिस्ट्रेशन और पशु कल्याण नियम फॉलो करें।
नीचे एक टेबल में मुख्य ध्यान देने योग्य बातों का सारांश:
पहलू | मुख्य ध्यान देने योग्य बातें | लाभ/जोखिम |
---|---|---|
सेहत | संतुलित फीड, टीकाकरण, नियमित जांच | उत्पादकता बढ़ना / बीमारी फैलना |
बीमारियां | बायोसिक्योरिटी, क्वारंटाइन, रिपोर्टिंग | बचाव / महामारी |
रहन-सहन | वेंटिलेशन, स्पेस, तापमान नियंत्रण | आराम / तनाव-मृत्यु |
प्रदूषण | वेस्ट कंपोस्टिंग, गंध नियंत्रण, जल उपचार | पर्यावरण संरक्षण / जुर्माना |
निष्कर्ष
मुर्गी फार्म का सफल प्रबंधन मेहनत और जागरूकता मांगता है। इन बातों पर ध्यान देकर आप नुकसान कम कर सकते हैं और लाभ बढ़ा सकते हैं। यदि आप नौसिखिए हैं, तो ICAR या लोकल वेटरिनरी डिपार्टमेंट से ट्रेनिंग लें। याद रखें, स्वस्थ मुर्गियां ही स्वस्थ व्यवसाय की नींव हैं। अधिक जानकारी के लिए NABARD की वेबसाइट या विशेषज्ञों से संपर्क करें।