करवा चौथ

करवा चौथ 2025: महत्व, पूजा विधि और परंपराएँ

परिचय

करवा चौथ एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। करवा चौथ 2025 में 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं। यह त्योहार पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का त्योहार वैवाहिक जीवन में प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। ‘करवा’ का अर्थ है मिट्टी का घड़ा और ‘चौथ’ का अर्थ है चतुर्थी, क्योंकि यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और माँ पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करती हैं। मान्यता है कि यह व्रत न केवल पति की रक्षा करता है, बल्कि दांपत्य जीवन में खुशहाली भी लाता है।

करवा चौथ 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: 9 अक्टूबर 2025
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 8 अक्टूबर 2025, शाम 06:26 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 9 अक्टूबर 2025, रात 08:42 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:45 बजे से रात 07:00 बजे तक
  • चंद्रोदय समय: रात 08:15 बजे (स्थान के अनुसार भिन्न हो सकता है)

पूजा की विधि

करवा चौथ का व्रत और पूजा निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

  1. व्रत की शुरुआत: सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत शुरू किया जाता है। सरगी में मिठाई, फल, मेवे और अन्य पौष्टिक चीजें शामिल होती हैं, जो सास द्वारा दी जाती हैं।
  2. निर्जला व्रत: महिलाएँ पूरे दिन बिना पानी और भोजन के व्रत रखती हैं।
  3. पूजा की तैयारी: शाम को पूजा के लिए एक चौकी पर माँ पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और करवा माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। करवा (मिट्टी का घड़ा) में पानी या दूध भरें।
  4. कथा: पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनी जाती है, जिसमें वीरवती या अन्य पारंपरिक कथाएँ शामिल हो सकती हैं।
  5. चंद्र दर्शन: चंद्रमा के उदय होने पर छलनी से चंद्रमा और फिर पति के दर्शन किए जाते हैं।
  6. व्रत खोलना: पति के हाथों से पानी और भोजन ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है।

करवा चौथ की परंपराएँ

  • सोलह श्रृंगार: महिलाएँ इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र, और सुंदर परिधान शामिल हैं।
  • सरगी: सास द्वारा दी गई सरगी व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो व्रत की शुरुआत में खाई जाती है।
  • करवा माता की पूजा: करवा माता को विशेष रूप से पूजा जाता है, और करवे का आदान-प्रदान भी किया जाता है।
  • उपहार: इस दिन पति-पत्नी एक-दूसरे को उपहार देकर अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं।

करवा चौथ की कथा

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, वीरवती नाम की एक महिला ने करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन कमजोरी के कारण वह चंद्रमा के दर्शन से पहले ही बेहोश हो गई। उसके भाइयों ने चालाकी से उसे जल्दी व्रत तोड़ने के लिए मजबूर किया, जिसके कारण उसके पति की मृत्यु हो गई। बाद में माँ पार्वती के आशीर्वाद से उसके पति को पुनर्जनम मिला। यह कथा व्रत के महत्व और नियमों का पालन करने की सीख देती है।

निष्कर्ष

करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और समर्पण का उत्सव है। यह पर्व दांपत्य जीवन की मधुरता को बढ़ाता है और परिवार में एकता को प्रोत्साहित करता है। करवा चौथ 2025 में अपने पारंपरिक उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। इस दिन को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाएँ और अपने जीवनसाथी के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत करें।

Karwa Chauth Wikipedia : https://en.wikipedia.org/wiki/Karwa_Chauth

Times of India : https://timesofindia.indiatimes.com/topic/Karwa-Chauth 

 

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