अफगान लड़के का प्लेन के व्हील-वेल में दिल्ली तक सफर

व्हील-वेल का चमत्कार: 13 वर्षीय अफगान लड़के का मौत को मात देकर दिल्ली तक सफर

हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट पर एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सभी को हैरान कर दिया। अफगानिस्तान का 13 वर्षीय लड़का, महज जिज्ञासा (curiosity) के चलते, काबुल से दिल्ली आने वाले विमान के लैंडिंग गियर (व्हील वेल) में छिप गया। यह दुनिया के सबसे खतरनाक “स्टोअवे” (stowaway) सफरों में से एक माना जाता है।जब प्लेन दिल्ली उतरा, तो मैकेनिक्स को वहां से यह बच्चा जीवित मिला — थका हुआ, ठंड से जकड़ा हुआ, लेकिन ज़िंदा। एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार यह किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में लोग ऐसे सफर में जान गंवा बैठते हैं।

व्हील-वेल सफर इतना खतरनाक क्यों है?

1. टेकऑफ का खतरा: जब विमान उड़ान भरता है, तो पहिए ऊपर खिंचकर व्हील वेल में बंद हो जाते हैं। वहां इंसान आसानी से कुचला जा सकता है।

2. कड़ाके की ठंड: 30-40 हजार फीट की ऊंचाई पर तापमान -50°C से भी नीचे चला जाता है। इतने ठंडे वातावरण में इंसान का शरीर कुछ ही मिनटों में बेहोश हो सकता है।

3. ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia): ऊपर जाते समय हवा पतली हो जाती है। यानी ऑक्सीजन बहुत कम होती है। इससे इंसान का दिमाग काम करना बंद कर सकता है और जान जा सकती है।

4. कम प्रेशर: हाई एल्टीट्यूड पर शरीर पर प्रेशर असंतुलन हो जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और बेहोशी आना तय है।

यह बच्चा कैसे बचा? इसके पीछे की साइंस ?

Hypothermia ने बचाई जान:ऊंचाई पर जब शरीर का तापमान अचानक गिरता है, तो metabolic rate (शरीर की ऊर्जा खपत की गति) धीमी हो जाती है। यानी दिल और दिमाग की गति बहुत कम हो जाती है। इसे “suspended animation like state” कहा जा सकता है। यह स्थिति कभी-कभी शरीर को ऑक्सीजन की कमी से बचा लेती है।

शॉर्ट फ्लाइट का फायदा: काबुल से दिल्ली की उड़ान बहुत लंबी नहीं है (करीब 2 घंटे)। लंबी फ्लाइट होती तो शायद वह बच नहीं पाता।

विमान की ऊंचाई: यह उड़ान बहुत ज्यादा ऊंचाई तक नहीं गई, और तापमान/ऑक्सीजन की स्थिति “क्रिटिकल लिमिट” से नीचे नहीं गई। इसलिए उसकी जान बच पाई।

किस्मत का बड़ा रोल: कई मामलों में लोग टेकऑफ के दौरान गिर जाते हैं या लैंडिंग के समय पहिए से कुचल जाते हैं। लेकिन इस बच्चे की पोजिशनिंग और किस्मत ने साथ दिया।

पहले भी हुए ऐसे चमत्कारिक केस :

2014, कैलिफ़ोर्निया–हवाई: 15 वर्षीय लड़का 5.5 घंटे तक व्हील वेल में जिंदा रहा।

2021, ग्वाटेमाला से मियामी: एक शख्स 3 घंटे की फ्लाइट में जिंदा बच गया। लेकिन दर्जनों केस ऐसे हैं जहां लोग जिंदा नहीं बच सके।

एविएशन एक्सपर्ट्स की राय

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बच्चे का बचना “1% से भी कम संभावना” का परिणाम है। ऐसे सफर में 90% से ज्यादा मौत हो जाती है। यही वजह है कि इसे चमत्कारिक जीवित रहना कहा जा रहा है।

यह घटना सिर्फ एक साहसिक किस्सा नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक रहस्य भी है — कैसे इंसान का शरीर हाइपोथर्मिया और ऑक्सीजन की कमी की स्थिति में कभी-कभी “जीवन रक्षा मोड” में चला जाता है।लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि यह रोमांच नहीं, बल्कि आत्महत्या जैसी कोशिश होती है। एविएशन सुरक्षा एजेंसियां अब और कड़े नियम लागू करेंगी ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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