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Apple और Google को करोड़ों का चूना लगाने वाला एक ‘स्मार्ट’ स्कैमर साल 2013

Apple

Apple और Google

क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे बड़ी और सुरक्षित मानी जाने वाली टेक कंपनियाँ भी धोखाधड़ी का शिकार हो सकती हैं? यह कहानी एक ऐसे “स्मार्ट” स्कैमर की है जिसने Apple और Google जैसी कंपनियों को करोड़ों का चूना लगाया। यह सिर्फ एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं थी, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे एक साधारण सी चाल अरबों डॉलर की कंपनियों को भी चकमा दे सकती है।

कहानी शुरू होती है लिथुआनिया के एक व्यक्ति, एवाल्डस रिमासौस्कस (Evaldas Rimasauskas) से। यह 2013 की बात है, जब उसने एक ऐसी योजना बनाई जिसे सुनकर हर कोई दंग रह गया। उसने एक ताइवानी हार्डवेयर निर्माता कंपनी के नाम जैसी एक नकली कंपनी बनाई। यह असली कंपनी गूगल और एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों को हार्डवेयर सप्लाई करती थी।

रिमासौस्कस ने चालाकी से अपने नाम की एक कंपनी रजिस्टर की, और उसी नाम से बैंक अकाउंट भी खुलवा लिया। इसके बाद, उसने इन कंपनियों को ईमेल भेजना शुरू किया, जो असली सप्लायर की तरह लग रहे थे। ये ईमेल ऐसे बनाए गए थे कि कोई भी उन पर शक न करे।

सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि उसने उन कंपनियों को लाखों डॉलर के नकली बिल भेजे, जो उन सर्विसेज के लिए थे जो कभी दी ही नहीं गईं। और हैरान करने वाली बात यह है कि बिना किसी जाँच-पड़ताल के, इन बड़ी कंपनियों ने लाखों डॉलर की रकम उसके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी! द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, एक-एक करके, उसने कई नकली बिल भेजे और दोनों कंपनियों से लगभग $122 मिलियन (लगभग ₹1000 करोड़ से ज़्यादा) वसूल लिए।

यह घोटाला तब सामने आया जब Google के कुछ कर्मचारियों को कुछ बिलों पर शक हुआ और उन्होंने इसकी गहराई से जाँच की। तब पता चला कि यह एक बहुत बड़ा धोखा था। एवाल्डस रिमासौस्कस को 2017 में गिरफ्तार किया गया और बाद में उसे जेल की सज़ा भी हुई

यह घटना दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई, क्योंकि यह दिखाता है कि तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, मानव की एक छोटी सी चूक बहुत बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि किसी भी लेनदेन से पहले पूरी तरह से जाँच करना कितना ज़रूरी है, भले ही आप दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी हों।

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