भारत की शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर बड़े विवाद में है। सुप्रीम कोर्ट में इस समय RTE (Right to Education) और TET (Teacher Eligibility Test) को लेकर अहम सुनवाई चल रही है। सवाल यह है कि क्या RTE लागू होने से पहले जॉइन किए गए शिक्षकों पर TET पास करना अनिवार्य होना चाहिए? इस मुद्दे ने हजारों शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा कर दिया है। खासकर यूपी और बिहार में बड़े पैमाने पर शिक्षक सड़कों पर उतर आए हैं और सोशल मीडिया पर #ShikshakBerojgar ट्रेंड कर रहे हैं।
RTE और TET का बैकग्राउंड –
RTE Act (2009): हर बच्चे को 6 से 14 साल तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने की गारंटी।
TET (2011 से लागू): शिक्षक भर्ती की क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम योग्यता टेस्ट।नियम के मुताबिक, स्कूलों में भर्ती होने वाले सभी शिक्षकों को TET पास होना चाहिए। लेकिन सवाल ये है कि जो शिक्षक RTE से पहले ही नियुक्त हो चुके हैं, उन पर ये नियम लागू होगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट केस: सरकार vs शिक्षक यूनियन्स
सरकार का पक्ष: TET अनिवार्य करने से क्वालिटी एजुकेशन सुनिश्चित होगी। अगर सभी शिक्षक TET पास करेंगे तो शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।
शिक्षक यूनियन्स का पक्ष: 10-15 साल से पढ़ा रहे अनुभवी शिक्षकों को अचानक TET देने को मजबूर करना अन्यायपूर्ण है।यह कदम दरअसल नौकरी से बाहर करने का बहाना है।अनुभव भी उतना ही अहम है जितना क्वालिफिकेशन।
ग्राउंड रियलिटी: यूपी और बिहार
यूपी और बिहार में हजारों शिक्षक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।UP: शिक्षक भर्ती में देरी, नियमों की जटिलता और TET की अनिवार्यता को लेकर गुस्सा।Bihar: कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड शिक्षकों का डर कि TET न पास करने पर उनकी नौकरी जा सकती है।Twitter (अब X) पर #ShikshakBerojgar ट्रेंड कर रहा है और छात्र-शिक्षक दोनों इस आंदोलन में आवाज उठा रहे हैं।
छात्रों पर असर :
अगर हजारों शिक्षक बाहर हो जाते हैं, तो शिक्षक की कमी (teacher shortage) से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी।दूसरी तरफ, अगर क्वालिटी की अनदेखी हुई तो स्टूडेंट्स का फ्यूचर दांव पर लग सकता है।यानी यह विवाद सीधे बच्चों की शिक्षा से जुड़ा हुआ है।
पुराने शिक्षकों के लिए स्पेशल रिलीफ क्लॉज बनाया जाए (जैसे एक्सपीरियंस-बेस्ड क्रेडिट)।नए भर्ती होने वाले शिक्षकों पर ही TET पूरी तरह लागू हो।सरकार ब्रिज कोर्स / रिफ्रेशर ट्रेनिंग की व्यवस्था करे, जिससे अनुभवी शिक्षक भी अपग्रेड हों और छात्रों की क्वालिटी एजुकेशन भी बनी रहे।
TET बनाम अनुभवी शिक्षक विवाद सिर्फ नियमों का मसला नहीं बल्कि शिक्षा और रोज़गार दोनों का सवाल है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले समय में लाखों शिक्षकों और करोड़ों छात्रों का भविष्य तय करेगा।
आपके हिसाब से क्या TET सब पर लागू होना चाहिए या अनुभवी शिक्षकों को छूट मिलनी चाहिए?अपनी राय कमेंट में लिखें और इस बहस को आगे बढ़ाएं।अपडेट्स के लिए हमें फॉलो करें और शिक्षा सुधार पर जुड़ी ताज़ा खबरें पाएं।